एलर्जी से डरने की जरूरत क्‍या है

एलर्जी से डरने की जरूरत क्‍या है

एलर्जी एक ऐसी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या है जिसका सामना उम्र के किसी न किसी पड़ाव पर तकरीबन हर व्‍यक्ति को करना पड़ता है। किसी को धूल से एलर्जी होती है तो किसी को खाने-पीने की किसी चीज से। किसी को खास गंध से एलर्जी होती है तो किसी को धुएं से। कई बार एलर्जी इतनी घातक हो जाती है कि मरीज की जान पर बन आती है।

दुखद तथ्‍य यह है कि एलर्जी को जड़ से ठीक कर दे इसका दावा कोई नहीं कर सकता लेकिन अच्‍छी बात यह है कि इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है और अगर इस बात का पता लगाया जा सके कि मरीज को किस चीज से एलर्जी है तो उस वस्‍तु से दूरी बनाकर सामान्‍य जीवन जीना संभव है।

दिल्‍ली की प्रसिद्ध त्‍वचा रोग एवं एलर्जी विशेषज्ञ डॉक्‍टर दीपाली भारद्वाज सेहतराग डॉट कॉम से बातचीत में कहती हैं कि वो इम्‍यूनोथैरेपी के जरिये खान-पान से होने वाली एलर्जी को नियंत्रित करती हैं। इसके तहत सबसे पहले तो यह पता लगाया जाता है कि मरीज को किस चीज से एलर्जी है। डॉक्‍टर दीपाली के अनुसार ग्‍लूटेन जो कि गेहूं में पाया जाता है, उसकी एलर्जी आजकल खूब हो रही है। किसी को सरसों तेल तो किसी को चिकन या फ‍िश, किसी को जीरा, किसी को बैंगन यानी खाने की किसी भी चीज से एलर्जी हो सकती है।

जब यह पता लग जाए कि मरीज को किस चीज से एलर्जी है तो उसके बाद कम से कम छह महीने संबंधित चीज खाने से सख्‍त मनाही कर दी जाती है। उसके बाद एकदम अल्‍प मात्रा में हफ्ते-दस दिन में एक बार वह चीज खाने की सलाह दी जाती है और धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाने को कहा जाता है।

इससे मरीज के शरीर में उस चीज की एलर्जी को लेकर प्रतिरोधक क्षमता वि‍कसित हो जाती है और तब मरीज उस चीज का सेवन कर सकता है। खास बात यह है कि इसमें दवाओं का इस्‍तेमाल सामान्‍यत: नहीं ही होता है।

दिल्‍ली में सांस संबंधित रोगों के वरिष्‍ठ विशेषज्ञ डॉक्‍टर नीरज जैन कहते हैं कि किसी चिकित्‍सा पद्धति में एलर्जी को पूरी तरह ठीक करने का दावा नहीं किया जा सकता। दवा द्वारा एलर्जी को नियंत्रित रखा जा सकता है और मरीज सामान्य जीवन जी सकता है।

दिल्‍ली के पटेल चेस्‍ट अस्‍पताल के रेस्‍पीरेटरी एलर्जी विभाग के अध्‍यक्ष डॉक्‍टर राज कुमार बताते हैं कि एलर्जी से निबटने के दो रास्ते हैं। पहला उसे नियंत्रित रखता है और दूसरा उससे बचाव। बचाव के लिए एलर्जी टेस्ट करके यह पता किया जाता है कि मरीज को किन-किन चीजों से एलर्जी है। फिर उन चीजों से परहेज किया जाता है। एलोपैथी से इलाज के क्रम में सांस संबंधी व्यायाम या तनाव रहित होने की प्रक्रिया मददगार साबित हो सकती है।

दूसरी ओर दिल्‍ली में कई ऐसे योग संस्‍थान हैं जो योग द्वारा एलर्जी के इलाज का दावा करते हैं। डॉक्‍टर जैन कहते हैं कि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। सिर्फ योग से इलाज के दावे मरीजों की जान ले सकते हैं।

उनके अनुसार, एलर्जी जनित दमा का उदाहरण देखें। योग विशेषज्ञ बिना कुछ सोचे-समझे इनहेलर को फेंक देने की सलाह देते हैं। इसके कारण कई मरीजों की जान जा चुकी है। पिछले 25 वर्षों से इनहेलरों का प्रयोग हो रहा है और अब तक शरीर पर इसके बुरे प्रभाव का कोई सबूत सामने नहीं आया है।

जहां तक आयुर्वेदिक इलाज का सवाल है प्रसिद्ध कंपनियों द्वारा बनाई जाने वाली आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ हद तक ही फायदा होता है मगर आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा दी जाने वाली पुडि़या नुकसान ही पहुंचाती है। इन पुड़ियों में स्टेरॉयड मिले होते हैं जिनकी मात्रा का ध्यान नहीं रखा जाता जबकि एलर्जी के इलाज में स्‍टेरॉयड की मात्रा का ध्‍यान रखा जाना महत्‍वपूर्ण होता है। 

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।